Hartalika Teej 2023 व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है।
यह व्रत स्त्रियाँ अपने विवाहित जीवन में शांति और खुशियाँ बनाने और अपने पतियों की दीर्घायु के लिए किया जाता है।
इस खास मौके पर महिलाएँ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अत्यंत समर्पण भाव से करती हैं।
विवाह में समस्याओं या देरियों का सामना कर रही महिलाएँ भी इस व्रत को मानती हैं, उम्मीद करती हैं कि उनको एक अच्छा पति मिलेगा।
संक्षेप में
- प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त: सुबह 06:07 बजे से लेकर 08:34 बजे तक।
- तृतीया तिथि शुरू होती है: 17 सितंबर 2023 को 11:08 बजे पर।
- तृतीया तिथि समाप्त होती है: 18 सितंबर 2023 को 12:39 बजे पर।
Hartalika Teej 2023 की तिथि, मुहूर्त और समय
“यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल Hartalika Teej 2023, सोमवार, 18 सितंबर 2023 को होगा।”
उपवास विधि
Hartalika Teej पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा पूरी अनुष्ठान के साथ की जाती है।
इस उपवास को हर साल नकामयाबी से मनाया जाना चाहिए और इसे नियमों, विधियों, और अनुष्ठानों के अनुसार किया जाना चाहिए।
इस उपवास को कुमारी, विवाहित महिलाएँ और विधवा महिलाएँ दोनों रख सकती हैं। भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और ताजा कपड़े पहनने चाहिए। फिर उन्हें पूरे दिन के लिए पूरी समर्पण भाव से उपवास का संकल्प लेना चाहिए।
इसके बाद, गंगाजल को मिलाकर कच्ची मिट्टी का उपयोग करके भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियों को तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है।
फिर सभी महिलाएँ अपनी ‘सुहाग थाली’ को सभी आवश्यक चीजों से सजाकर माता पार्वती को अर्पण करती हैं।
भगवान शिव को धोती और अंगोचा भी प्रदान किया जाना चाहिए।
इस अनुष्ठान के बाद, Hartalika Teej पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी देवताओं की अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा की जाती है।
उपवास रखने वाली महिलाएँ Hartalika Teej Vrat Katha को पढ़ना चाहिए और उपवास से संबंधित विभिन्न मंत्रों का जाप करना चाहिए।
सभी महिलाएँ अपनी सास-ससुर से आशीर्वाद लेना चाहिए और फिर ब्राह्मणों को विभिन्न चीजें दान करनी चाहिए। गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन, तीन देवताओं की मूर्तियों को शुद्ध जल में विसर्जित कर देना चाहिए।
Hartalika Teej का महत्व
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, Hartalika Teej 2023 का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है।
किस्सा है कि पहले हरतालिका तीज उपवास माता पार्वती ने भगवान शिव की दीर्घायु के लिए किया था।
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती/गौरी की पूजा करने से सभी जोड़ों को विवाहिक सुख, शांति और खुशी प्राप्त होती है।
इसके साथ ही उनके पतियों की आयु भी बढ़ जाती है।
इस उपवास को भी घर में धन और समृद्धि लाने में मदद मिलती है। अविवाहित महिलाएं भी एक अच्छे पति पाने की उम्मीद के साथ इस उपवास का पालन कर सकती हैं।
Hartalika Teej 2023 की उपवास की कहानी
Hartalika Teej 2023 के अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती का दिव्य मिलन मनाया जाता है।
पुराणों के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत कथा में भगवान शिव ने माता पार्वती को कथा सुनाई।
इस कथा में भगवान शिव ने माता पार्वती के पिछले जन्म की याद दिलाई।
उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने अपने पति के रूप में भगवान शिव को पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, और 108वीं बार पर्वत राज हिमालय के घर में उनकी इच्छा पूरी हुई।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति बनाने के लिए कठिन तपस्या की थी।
उनकी तपस्या से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उनके पिता पर्वत राज हिमालय को अपनी इच्छा जाहिर की कि वह माता पार्वती से विवाह करना चाहते हैं।
लेकिन माता पार्वती ने अपनी इच्छा को भगवान शिव से विवाह करने में ही बनाए रखी। उनके मित्र उनकी भक्ति को समझते हुए उनकी मदद करने का निर्णय लिया और उन्होंने उन्हें अपने पिता के राज्य से उथला लिया और एक जंगल में ले जाया।
इस अपहरण की कहानी को ‘हरतालिका’ कहा जाता है, जिसमें ‘हरित’ अपहरण को और ‘तालिका’ मित्रों को दर्शाता है। आखिरकार, भगवान शिव माता पार्वती की अविच्छिन्न भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।”
मां गौरी/पार्वती ने 108 जन्मों तक कठिन तपस्या और उपवास का संघटन किया और अपने पति के रूप में भगवान शिव को प्राप्त किया।
भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह पर्वतराज हिमालय ने किया। इस महत्वपूर्ण घड़ी का समय भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि था, जिसका अर्थ है कि यह हरतालिका तीज का दिन था, और इसी दिन माता पार्वती का उपवास सम्पन्न हुआ था।
इसी कारण माना जाता है कि हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती विवाहित जोड़ियों पर अपनी आशीर्वाद बरसाते हैं।